तो दोस्तों खेती एक ऐसा व्यापार है जो बहुत पुराना है लेकिन, इसकी ज़रूरत हमें हमेशा ही रहेगी। किसान हमारे लिए धूप में, पानी में, ठंड में, आंधी तूफान में मेहनत करते हैं। लेकिन, आज कल हम यह देख रहे हैं कि बढ़ती पॉपुलेशन के तहत और मॉडर्न ज़माना होने की वजह से हर चीज़ कहीं बढ़ रही है तो कहीं घट रही है। आप यह अक्सर देखते होंगे कि इंसान बड़ी बड़ी फैक्ट्रियां बनवा रहा है और बड़े बड़े घर बन रहे हैं। तो इस वजह से ज़मीनों में कमी आ रही है। अब खेती तो होना ही है, जैसी पहले होती थी वैसी ही अभी भी होगी लेकिन ज़्यादा ज़मीन कहां से लाए किसान? क्योंकि ज़मीनें तो बड़ी बड़ी फैक्ट्री बनने में चली जा रही हैं। तो इस ही के चलते किसानों ने एक ऐसी ताकनीत अपनाई है, जिसकी वजह से वह कम ज़मीन में ज़्यादा मुनाफा भी कमा सकते हैं और एक साथ कम ज़मीन पर कई फसल भी उगा सकते हैं। तो आइए आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं।
किसान भी आज के मॉडर्न ज़माने की तरह हो गया है। अब किसान अपनी पुरानी पारंपरिक खेती से अलग अलग नई तकनीकी की खेती कर रहा है। कोई किसान नई तरह की फसल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कोई किसान खेती करने के तरीके में बदलाव कर रहे हैं। और इस तकनीक के ज़रिए वह कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। और एक ऐसा ही तरीका है, जिसे ‘ मल्टीलेयर फार्मिंग ’ कहते हैं। किसान आज के समय में मल्टीलेयर फार्मिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं और एक ही ज़मीन पर 3–4 फसल लगा रहे हैं। और इससे वह कम समय में अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं। और इस तकनीक से नुक्सान तो नहीं, बल्कि फायदा ही फायदा है। इससे ना सिर्फ खेती में लागत होती है, बल्कि पानी की भी खपत कम होती है और मुनाफा भी कई गुना होता है। आइए अब आपको मल्टीलेयर फार्मिंग के बारे में बताते हैं।
मल्टीलेयर फार्मिंग में पहले तीन या चार फसलों को सिलेक्ट करना होता है। इसमें एक फसल वो होती है जो ज़मीन के अंदर बोई जाती है, और दूसरी फसल वो होती है जो ज़मीन के ऊपर बोई जाती है और तीसरी, चौथी फसल वो होती है जो बेल की तरह बड़े पेड़ों के रूप में होती है। लेकिन, अपको साइंस से जुड़ी पूरी जानकारी हासिल करने के बाद ही इस तरह की फार्मिंग करनी चाहिए। जैसी मिट्टी हो, जलवायु हो, उस ही के आधार पर आपको अपनी फसल का चयन करना चाहिए। इस मल्टीलेयर फार्मिंग में पूरा खेल सिर्फ सही फसल के चयन का और उसकी बुवाई के समय का ही है। आइए इसके बारे में भी आपको विस्तार से बताते हैं।
हम ऐसा अक्सर देखते हैं कि, कई किसान गर्मी की जगह सर्दी के महीने फरवरी में ही अदरक बो देते हैं, और उसके बाद उसे मिट्टी से ढग देते हैं और उसके ऊपर भाजी लगा देते हैं और उसके बाद बांस के सहारे एक तार की छत की तरह बना देते हैं, और उसमें अलग अलग बेल वाली सब्जियां लगा देते हैं। ऐसा करने से ना तो ज़मीन पर सीधे धूप पड़ती है और ना ही ओलाबारी के वक्त ज़मीन के अंदर वाली फसल को नुकसान पहुंचता है। और इसके बाद ही वह टाइम का ध्यान रखते हुए बीच में पपीते के पौधे लगा देते हैं और इसे ऐसे टाइम पर लगाया जाता है, जिससे पपीते का तना ऊपर बनाई गई बांस की छत से कुछ ही दिनों में ऊपर निकल जाता है और बेल के ऊपर फल देने लगता है। और ऐसा करने से किसी भी पपीते की ग्रोथ में कोई दिक्कत नहीं आती है।
आप इसके बारे में पूरी जानकारी कृषि केंद्र से भी ले सकते हैं और एक कैलेंडर बना लें फिर उसके बाद उस ही हिसाब से उनकी कटाई, बुवाई आदि करते रहेंगे तो आपकी फसल में अच्छा फायदा होगा और खराब होने का भी डर नहीं रहेगा। अगर अब हम इसके मुनाफे की बात करें तो, इससे खेती में 4 गुना तक कम की लागत आती है। और इस तरह की खेती से 8 गुना तक का फायदा होता है। और ऐसा करने से एक से दूसरी फसल को भी पोशाक तत्व मिल जाते हैं और इससे कीड़े पतंगों को भी दिक्कत नहीं होती है। यह भी कहा जाता है कि मल्टीलेयर फार्मिंग करने से 70 प्रतिशत तक पानी को बचाया जा सकता है। और अगर अब पूरा हिसाब लगाएं तो 1 एकड़ ज़मीन में 5–7 लाख रुपए तक की कमाई एक साल में होती है