पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान और दीपक पटेल ने एक गुजराती पर्व 2024 के दौरान अपने जीवन के बारे में कई वार्तालाप की कर्म हमारा परम सिद्ध अधिकार है अथवा कर्म करेंगे तो मेहनत का फल अवश्य मिलेगा।
पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान एक बहुत ही प्रसिद्ध खिलाड़ी रहे अथवा उन्होंने बताया कि हमारे घर में अभी भी वर्ल्ड कप की 2 ट्रॉफी रखी है 2007 में t20 वर्ल्ड कप जीता फिर 2011 में वर्ल्ड कप की ट्रॉफी जीती भारत के चाहिता इरफान पठान ने यह भी बताया की इच्छा नाम कमाने के लिए खुद पर यकीन होना चाहिए और जो हम काम करने जा रहे हैं उसको करने का जज्ब़ा होना चाहिए और उसके लिए अपना 100 परसेंट देने की कोशिश करना चाहिए तब जाकर हम एक अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं। जो में वर्ल्ड कप, दो ट्रॉफी जीती हैं वह अच्छा पर्यटन करने की वजह से इसलिए हमें अभ्यास करना जरूरी होता है जब भी हम आगे बढ़ सकते हैं। हमें संघर्ष करते रहना चाहिए। आईए जानते हैं अपने पिता के संघर्ष के बारे में इरफान पठान क्या बताते हैं ?
इरफान पठान बताते हैं कि उनके पिता ने उनका पालन पोषण बहुत ही गरीब स्थिति में किया उनके पिताजी की ₹3500 प्रति माह तनख्वाह थी और वह एक मस्जिद में काम किया करते थे वह अपने दोनों बेटों का हौसला बनाए रखते थे तथा इसी हौसले के वजह वह उस मुकाम पर पहुंचे और सफल हुए उन्होंने बताया कि उनके पिताजी 3500 रुपए कमाते थे फिर भी उन्होंने क्रिकेट खेलने से नहीं रोका। प्रवासी गुजराती पर्व पर पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान ने बताया कि भले ही जिंदगी में कई विफलताएं आए पर मेहनत करनी चाहिए एक दिन ऐसा आएगा कि आप सफल जरूर होंगे।
पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान ने बताया कि पिता का सिर पर हांथ और उनका साथ जिंदगी में इंसानों को बहुत आगे लेकर जाता है एवं सक्षम बनाता है
इरफान पठान के पिताजी दोनों बेटों से बहुत ही प्यार करते थे और वह दोनों ही बेटों की हर स्थिति में साथ देते थे उन्हें बताया कि मस्जिद में 15 घंटे काम करने के बावजूद भी उनके पिता ने कभी किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होने दी हालांकि उन्होंने इतना काबिल बनाया की वह आज देश के बहुत ही प्रसिद्ध क्रिकेटर रहे हैं पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही बहुत गरीबी देखी है और उनके पिताजी ने उन्हें बचपन से बहुत प्रेम दिया है।
वहीं दीपक पटेल ने भी विदेशी क्रिकेट टीम के साथ क्रिकेट खेलने में किया कई कठिनाइयों का सामना
दीपक पटेल के लिए गुजराती क्रिकेटर होते हुए विदेशी टीम क्रिकेट टीम के साथ खेलने नहीं था आसान
दीपक पाटिल जो एक गुजराती है साथ में न्यूजीलैंड के खिलाड़ी भी हैं जो न्यूजीलैंड के साथ लंबे समय से क्रिकेट खेलते हुए आ रहे हैं और उन्हें खेलते वक्त यह बताया कि हम चाहे जहां भी क्रिकेट खेली लेकिन हमें अपना मातृभाषा देश याद रखना चाहिए मैं गर्भ के साथ कहता हूं कि मैं एक गुजराती हूं जब मेरा पहले कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ था तब मैं यही बात याद रखी थी कि मैं कुछ याद रखूं या ना रहूं लेकिन यह जरूर याद रखूंगा कि मैं गुजराती हूं और वही किया मैंने गुजराती क्रिकेटर होने के बावजूद विदेशी क्रिकेट टीम के साथ खेलना मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन मैं डाटा रहा और जीत हासिल करी।
सन् 1987 में जब विश्व कप खेला गया तो फील्ड में दीपक पाटिल से पूछा गया कि गुजराती आती है नहीं यह मैच भारत के खिलाफ हुआ था अगर मैं भारतीय टीम में होता तो मुझे सम्मान मिलता मगर विदेशी टीमों में होना बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है साथ में अपमान भी सहन करना पड़ता है यदि आप यह सब सहन कर लेते हैं तो तभी आगे बढ़ सकते हैं।