सचिन धास (Sachin Dhas) इंडियन क्रिकेटर हैं, जिन्होंने U 19 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ज़बरदस्त पारी खेल कर अपने नाम का मान रखा और लोगों के दिल में अपनी एक नई जगह बना ली है। सचिन धास के पिता संजय जी ने कहा, उन्होंने सचिन तेंदुलकर के नाम से प्रेरित होकर सचिन का नाम रखा था। सचिन के पिता ने बताया सचिन का जन्म 2005 में हुआ था। हालांकि पता यह चला है की फिलहाल में सचिन विराट कोहली के फैन हैं।
आइए देखते हैं, सचिन ने ऐसा क्या किया है जिसकी वजह से वह सुर्खियों में हैं आज।
सचिन धास ने U 19 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ज़बरदस्त पारी खेल कर इंडिया को सेमीफाइनल में पहुंचा दिया है जिसकी वजह से आज महाराष्ट्र के (बीड) जिले का नाम रोशन हो गया है।
भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए आईसीसी U 19 वर्ल्ड कप में सचिन और कप्तान उदय सहारन की बल्लेबाज़ी की तारीफ हर जगह हो रही है। सचिन और उदय की 171 रनों की साझेदारी ने टीम इंडिया को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। सचिन जब बल्लेबाज़ी करने आए तब भारत ने 32 के स्कोर पर 4 विकेट गवा दिए थे। ऐसे में इंडिया के पास जीतने के चांस कम थे, लेकिन सचिन ने 95 बॉल पर 96 रन बना कर भारत को एक बार फिर सेमीफाइनल में पहुंचा दिया है। भले ही सचिन अपना शतक बनाने से चूक गए थे लेकिन उन्होंने अपना काम कर दिया था।सचिन टूर्नामेंट में हमेशा शानदार रहे हैं। इससे पहले भी सचिन और उदय ने नेपाल के खिलाफ मैच में शानदार बल्लेबाज़ी की थी। सचिन और उदय अपनी शानदार बल्लेबाज़ी की साझेदारी से भारत को पांचवीं बार सेमीफाइनल में पहुंचाने में सफल रहे हैं।
सचिन के पिता संजय ने बताया, सचिन की माँ कभी राज़ी नहीं थी सचिन को क्रिकेट खिलाने में, उन्होंने हमेशा सचिन को क्रिकेट खेलने से मना किया था। लेकिन संजय के पिता हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा क्रिकेट खेले, उन्होंने बताया, बीड में केवल आधी पिचें (लगभग 11 गज) हैं।सचिन के पिता ने बताया, एक दिन मेरे पास शेख अज़हर कोच आए उन्होंने कहा, हमें मिल कर ही इस पिच को तैयार करने पड़ेगा सचिन के लिए तभी सचिन आगे कुछ कर पाएगा। उन्होंने बताया मैंने और कोच अज़हर ने मिल कर पिच तैयार की और सचिन को मैच खेलने में कोई परेशानी नहीं आने दी।
सचिन के पिता ने बताया, सचिन सुबह 4 घंटे अभ्यास करता है और शाम को साढ़े तीन घंटे, जिसमें जिम का समय भी शामिल रहता है। सचिन के पिता संजय जी ने कहा, मैं इसका श्रेय कोच अज़हर को देना चाहूंगा, उनके बिना शायद हम यह दिन नहीं देख पाते।