इकोनॉमी के लिए खुशखबरी!! जीडीपी (GDP) ने है अनुमान को छोड़ा पीछे। 8.4% रही जीडीपी ग्रोथ।

तो दोस्तों यह तो आप जानते ही हैं कि हर देश में उसकी आर्थिक स्थिति उसका संपन्न होना या कंगाल होना दर्शाती है। अगर किसी भी देश के बारे के जब जानना हो तो हमें सबसे पहले उसकी आर्थिक स्थिति के बारे में ही जानकारी दी जाती है। और यह तो हर देश में होता है कि जब उसके बजट पर चर्चा की जाती है तो सारे आंकड़े निकल कर सामने आते हैं, और यदि अगर वो ज़्यादा हों यानि ग्रोथ इंक्रीज हुई हो तो उसकी प्रशंसा की जाते है, और यदि वहीं ग्रोथ कम हुई हो तो उस पर सवाल खड़े होने लगते हैं। क्योंकि कोई भी देश तभी संपन्न हो सकता है जब उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो और अगर उस देश का बजट हो हिला हुआ हो तो वह देश कैसे संपन्न हो सकता है। तो हम इसी बजट की बात कर रहे हैं, जिसकी ग्रोथ सामने निकल कर आ गई है, और अब हम आपको बताते हैं की ऐसे क्या आंकड़े सामने आएं हैं, जिस पर इतनी चर्चा हो रही है।

भारतीय अर्थव्यवस्था दिसंबर तिमाही में 8.4% की आश्चर्यजनक बढ़ोतरी के साथ आगे बढ़ी है, जबकि विनिर्माण, बिजली और निर्माण ने मंदी की जो आशंकाएं थीं, उन्हें खारिज कर और मज़बूत प्रदर्शन किया है। और इस पूरे टास्क में, भारत ने दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था का ताज भी कायम रखा है। हम आपको बात दें कि, 4.3% दर्ज Q3 की वृद्धि का आंकड़ा FY23 की तीसरी तिमाही में लगभग दोगुना हुआ है। 17 अर्थशास्त्रियों के एक मिंट पोल ने 6.6% का औसत बताया था। दूसरी ओर भविष्यवाणियां भी ऐसी ही थीं। रिपोर्ट के अनुसार, सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा Q3 का जो आंकड़ा रिपोर्ट किया गया है, वह रिपोर्ट किए गए Q2 का आंकड़ा 7.6% से अधिक है। गुरुवार को यह संख्या संशोधित करके 8.1% कर दी गई है।

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उच्च वृद्धि की जो संख्या है, उसका मतलब राष्ट्रीय सांख्यिकी मंत्रालय यानि (NSO) द्वारा वित्त वर्ष 2014 में जीडीपी (GDP) वृद्धि के अनुमान में संशोधन भी है, जो पहले के अनुमान में 7.3% से दूसरे संशोधित अनुमान में 7.6% हो गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का अनुमान FY24 के लिए 7% है, जबकि IMF का पूर्वानुमान NSO और RBI, दोनों के अनुमान से कम है, जो कि 6.7% का है। चंद्रजीत बनर्जी, जो कि सीआईआई (CII) के महानिर्देशक हैं, उन्होंने यह कहा है कि, “ जो बात सुकून देने वाली है, वह यह है कि यह मज़बूत विस्तार बार–बार होने वाले भू–राजनीतिक संकटों के बावजूद हुआ है और विनिर्माण और निवेश में स्वस्थ दोहरे अंकों के विस्तार पर आधारित था।”

हम आपको बता दें कि, भारत के विकास आंकड़े मज़बूती से ऐसे समय में आए हैं, जब प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं धीमे बढ़ोतरी और भारी ब्याज दरों का सामना कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी (IMF) ने यह भविष्यवाणी की है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चीन, अमेरिका, जापान, फ्रांस, और यूके जैसी प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर प्रदर्शन करेगी। अगर अब FY24 की बात करें तो हम आपको बता दें कि, चीन(4.6%), यूके (0.6%), जापान (0.9%), अमेरिका (2.1%), फ्रांस (1%) है। और जर्मनी की बात करें तो उसकी अर्थव्यवस्था (–0.5%) है।

तो दोस्तों, अगर अब हम कृषि वृद्धि के बारे में बात करें तो हम आपको यह बता देते हैं कि, देश के कुछ हिस्सों में बदलते हुए मॉनसून के कारण इस वित्तीय वर्ष की दिसंबर तिमाही में कृषि के क्षेत्र की वृद्धि में 0.8% की गिरावट आई है। जो कि, नुकसान की बात तो है ही और साथ ही चिंता की भी बात है। क्योंकि, यह वृद्धि पिछले साल से 5.2% कम है। मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार ने यह कहा है कि , “ जो कृषि जीविए वृद्धि है वह ग्रामीण उपभोग मांग को प्रभावित करेगी, जो वित्त वर्ष 2024 में 3% की समग्र उपभोग वृद्धि में पहले से ही परिलक्षित होती है। कम कृषि विकास की लंबी अवधि अर्थव्यवस्था में कमज़ोर उपभोग मांग में तब्दील हो सकती है।” रिपोर्ट के अनुसार, इंडिया रेटिंग का यह कहना है कि आगे चलकर ग्रामीण उपभोग मांग में सुधार बहुत ज़रूरी होगा।

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