सूत्रों के अनुसार , कतर जेल से 8 भारतीय पूर्व नौसैनिक रिहा हो गए हैं और अपने स्वदेश वापस आने पर यह भारत की सबसे बड़ी कूटनीतिक जीत बताई जा रही है। कतर में मौत की सज़ा पाने के बाद यह 8 भारतीय दोहा की एक अदालत से रिहा किए गए। इन भर्तियों की रिहाई के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बहुत ही अहम भूमिका निभाई है और मौत की सज़ा को बदलने के लिए भी अपील करवाई थी।
दरअसल, यह सभी भारतीय नौसैनिक दोहा में स्तिथ अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज में काम करते थे। 2023 28 दिसंबर को कतर की अदालत ने इन भारतीय नौसैनिकों पर जासूसी के आरोप में इन्हें मौत की सज़ा सुनाई थी । इस खबर के बाद भारत सरकार एक्टिव मोड में आ गई और अपने सोर्स के द्वारा इन भारतीय सैनिकों को सहायता पहुंचाई। भारत की अपील के बाद मौत की सज़ा को बदल के 3 साल से लेकर 25 साल तक की जेल की सज़ा सुना दी गई थी।
इस पूरे मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय, भारत सरकार और पीएम मोदी एक्टिव मोड में आ गए थे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वे इस मामले पर पूरा ध्यान दे रहे हैं और हर सबूत को तलाशने की पूरी कोशिश करेंगे। भारत सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय की अपील की वजह से इन भारतीय नौसैनिकों की मौत की सज़ा को बदल दिया गया था। भारत सरकार और पीएम मोदी के एक्टिव मोड में आने की वजह से दोहा की अदालत ने इन भारतीय नौसैनिकों को अब रिहा कर दिया है।
आइए जानते हैं कौन हैं यह 8 भारतीय नौसैनिक।
रिहा हुए पूर्व सैनिकों में कैप्टन नवतेज गिल, सौरभ वशिष्ठ, अमित नागपाल , बीके वर्मा ,सुगुनाकर पकाला , कमांडर पूर्णेंदु तिवारी , एसके गुप्ता , और नाविक रागेश शामिल हैं। कैप्टन नवतेज गिल को अपने कार्यकाल में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था। उन्हें उन्होंने तमिलनाडु के वेलिंग्टन में डिफेंस सर्विसिस स्टाफ कॉलेज में प्रशिक्षक के रूप में भी कार्य किया।
आखिर क्यों हुई थी मौत की सज़ा? क्या लगे थे आरोप?
इन भारतीय नौसैनिकों पर बीते साल यानी अगस्त 2023 में आरोप लगाया गया था जिसके कारण इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इन सभी पूर्व नौसैनिकों पर कतर की जासूसी करने का आरोप लगाया गया था। सूत्रों के अनुसार, इन सभी पर इजराइल के लिए कतर का जो सबमरीन प्रोजेक्ट चल रहा है उससे जुड़ी जानकारी को जुटाने का भी आरोप लगाया गया था। जिसके कारण इन भारतीय नौसैनिकों को मौत की सज़ा सुना दी गई थी। लेकिन देर से सही, अब ये सारे पूर्व नौसैनिक बाइज्जत रिहा हो गए हैं।
पूर्व भारतीय नौसैनिकों की अपने देश वापसी पर भारत की यह कूटनीतिक जीत हुई है। इन सभी सैनिकों की वापसी के लिए भारत सरकार ने सबसे पहले कतर द्वारा दी गई मौत की सज़ा पर चिंता व्यक्त की थी। सरकार ने सभी अधिकारियों की मदद के लिए हर कानूनी विकल पर विचार करने के लिए वादा किया था। भारत की अपील के बाद कतर ने 28 दिसंबर को मौत की सज़ा को बदल दिया था और इन सभी को जेल की सज़ा सुना दी थी । इन सारे पूर्व नौसैनिकों की बेगुहानी को साबित करने के लिए विदेश मंत्रालय ने भी यह आश्वासन दिया था कि वह हर मुमकिन कोशिश कर के उन पर लगे ये आरोपों को हटवाने की कोशिश करेंगे।